भारत फिर खोलेगा काबुल में दूतावास, विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद बड़ा फैसला

हुसैन अफसर
हुसैन अफसर

तीन साल पहले जब तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता संभाली थी, भारत ने काबुल स्थित अपना दूतावास बंद कर दिया था। लेकिन अब हालात कुछ बदलते दिख रहे हैं। भारत ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि वह अफ़ग़ान राजधानी काबुल में फिर से अपना दूतावास खोलेगा — यानी टेक्निकल मिशन को अब दूतावास के लेवल पर अपग्रेड किया जाएगा।

जब जयशंकर मिले मुत्तक़ी से — अफ़ग़ानिस्तान में रिश्तों की नई स्क्रिप्ट?

शुक्रवार को दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी से द्विपक्षीय बैठक की। जयशंकर ने बातचीत के दौरान कहा:

“मुझे ये घोषणा करते हुए ख़ुशी हो रही है कि भारत अब काबुल स्थित अपने टेक्निकल मिशन को दूतावास के स्तर तक ले जा रहा है।”

हालांकि भारत ने अभी भी तालिबान को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन यह कदम यह जरूर दर्शाता है कि भारत अफ़ग़ानिस्तान के साथ व्यावहारिक रिश्तों को मजबूत करना चाहता है

तालिबान मंत्री पर UN बैन, फिर भी भारत यात्रा — क्या बदलेगा अंतरराष्ट्रीय नजरिया?

दिलचस्प बात ये है कि अमीर ख़ान मुत्तक़ी खुद संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल हैं। लेकिन UN Security Council ने उन्हें 9 से 16 अक्टूबर तक भारत दौरे की इजाज़त दी है। यह तालिबान के किसी विदेश मंत्री का पहला आधिकारिक भारत दौरा है।

भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुत्तक़ी इस दौरान आगरा और देवबंद भी जाएंगे और भारत में रह रहे अफ़ग़ान नागरिकों से मुलाकात करेंगे।

“अफ़ग़ानिस्तान के लिए शुभचिंतक हैं” — भारत का नरम लेकिन स्पष्ट संदेश

जयशंकर ने कहा:

“अफ़ग़ानिस्तान के लोगों की भलाई और प्रगति में भारत की गहरी दिलचस्पी है। हम हमेशा उनके शुभचिंतक रहे हैं और हमारी साझेदारी लंबी अवधि की है।”

उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर अफ़ग़ानिस्तान की संवेदनशीलता की सराहना भी की और कहा कि भारत अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है

खनन, व्यापार और निवेश — क्या भारत फिर से अफ़ग़ानिस्तान में आर्थिक कार्ड खेलेगा?

जयशंकर ने संकेत दिया कि भारत अफ़ग़ानिस्तान में खनन और पुनर्निर्माण परियोजनाओं में फिर से दिलचस्पी ले रहा है। उन्होंने अफ़ग़ान प्रशासन द्वारा भारतीय कंपनियों को खनन क्षेत्र में आमंत्रित करने की पहल को भी सराहा।

यानी अब बात सिर्फ राजनीति की नहीं, व्यापार और निवेश की भी हो रही है।

भारत और तालिबान: मान्यता नहीं, मगर मुलाकात जारी

भारत अब भी तालिबान सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं देता, लेकिन व्यवहारिक संबंधों की शुरुआत हो चुकी है। दूतावास का दोबारा खुलना इसी दिशा में एक अहम क़दम है।

दूतावास तो खुलेगा, पर दिल-ओ-दिमाग की दूरी?

इस मुलाकात से साफ है कि भारत अपनी रणनीतिक सोच को लचीला और व्यावहारिक बना रहा है, लेकिन तालिबान को अभी भी पूरी तरह से मान्यता देने से परहेज है। आगे देखना होगा कि यह “कूटनीतिक समीकरण” अफ़ग़ानिस्तान में भारत के हितों को कैसे सुरक्षित रख पाता है।

AI Tools से अश्लीलता की पढ़ाई! IIIT नया रायपुर का छात्र गिरफ्तार

Related posts

Leave a Comment